हिंदी दिवस भारत में 14 सितंबर को मनाया जाता है। हिंदी विश्व में बोली जाने वाली प्रमुख भाषाओं में से एक है। विश्व की प्राचीन समृद्ध और सरल भाषा होने के साथ-साथ हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा भी है। यह भाषा है हमारे सम्मान स्वाभिमान और गर्व की। लेकिन इससे भी ऊपर हिंदी का एक पहलू है कि हिंदी प्रेम की भाषा है और यही इसकी परिभाषा है। हिंदी का स्वभाव है कि वह तोड़ती नहीं है जोड़ती है। हमारी हिंदी समावेशी है। इसमें अनेक भाषाएं जैसे उर्दू फारसी अंग्रेजी आदि के शब्द मिले हुए हैं। इसमें वह सभी गुण हैं जो साहित्य को समृद्ध करते हैं। चाहे सूरदास का वात्सल्य प्रेम हो, या फिर मीरा की भक्ति सब हिंदी में समाए हुए हैं। श्रृंगार रस का जो वृहद स्वरूप हिंदी में देखने को मिलता है वह शायद ही विश्व की किसी और भाषा में देखने को मिलता हो।
हिंदी में बड़ों के लिए आप है जो सम्मान का सूचक है तो वहीं दूसरी ओर बच्चों को तुम कह कर पुकारने का मातृत्व हिंदी प्रदान करती है। हिंदी आज इतनी समृद्ध है कि इस गंगा में वेदों का ज्ञान सूफी संतों की रुबाइयां सब समाई हुई है। अनेक भाषाओं के उत्तम साहित्य का अनुवाद आज हिंदी में हो चुका है। हिंदी आज वैश्विक परंपरा को अपने अंदर सहेजती है समेटती है और उसे दिशा देने का भी कार्य करती है। हिंदी वह गंगा है जिसमें पूरा भारत डूबा हुआ है जो अपने निर्मल जल से पूरे भारत को सींच रही है। आज हिंदी का प्रसार इतना हो गया है की लगभग हर भारतवासी हिंदी को किसने किसी स्तर पर समझता है और उसमें कुछ हद तक अभिव्यक्ति की क्षमता भी रखता है। अगर सच्चे शब्दों में कहें तो भारत हिंदी है और हिंदी भारत है और यह सब करते हुए हिंदी ने किसी भी मातृभाषा की मौलिक पहचान को आहत नहीं किया है हमारे सभी भाषाएं हिंदी की पूरक है और हिंदी भी उन भाषाओं की पूरक है। इतना ही नहीं प्रेम की धात्री होते हुए भी हिंदी विज्ञान को भी सहज ढंग से खुद में समेटती है। जैसी वैज्ञानिकता आप हिंदी में पाएंगे वैसी विश्व की किसी और भाषा में नहीं पाएंगे। व्याकरण से बंधी हुई हिंदी अल्हड्पन को भी अपने साथ उसी तरह जीवित रखती है इसका ही उदाहरण आपको अनेक हिन्दी साहित्यकारों की रचनाओं से मिल जाएगा। हिन्दी का प्रेम आध्यातम और तर्क को साथ रखता है कबीर की बातें गहरी है परंतु फिर भी उनकी मूल भावना प्रेम ही है वह सांप्रदायिक सौहद्र और समरसता को फैलती हैं जो इस विश्व को केवल एक परिवार मानती हैं और यही हमारी हिंदी है, इसलिए मैंने कहा हिन्दी प्रेम की भाषा है और यही इसकी परिभाषा है ।
सभी को हिन्दी दिवस की शुभकामनाएँ ।
हेमंत वर्धन शर्मा
कनिष्ठ अनुवाद अधिकारी
हिन्दी विभाग