अनुरूपता मूल्यांकन के मुख्य स्तंभों में से एक स्तम्भ, संगत भारतीय मानकों के अनुरूप उत्पादों का परीक्षण करना है। बीआईएस ने अपनी अनुरूपता मूल्यांकन योजनाओं के अंतर्गत नमूनों की परीक्षण अपेक्षा को पूरा करने के लिए देश में प्रयोगशालाएं स्थापित की हैं। जिसकी शुरुआत सन 1962 में साहिबाबाद में केंद्रीय प्रयोगशाला की स्थापना के साथ हुई और जिसे ब्यूरो ने मोहाली, कोलकाता, मुंबई और चेन्नई में चार क्षेत्रीय प्रयोगशालाओं तथा पटना, बैंगलोर, गुवाहाटी, जम्मू और हैदराबाद में पाँच शाखा प्रयोगशालाओं की स्थापना के साथ आगे बढ़ाया।
बीआईएस प्रयोगशालाओं में रासायनिक, सूक्ष्मजीवविज्ञान, विद्युत और यांत्रिक अपेक्षाओं के क्षेत्र में उत्पादों के परीक्षण की सुविधाएं हैं। उत्पाद परीक्षण के अलावा, बीआईएस ने अपनी नौ प्रयोगशालाओं में सोने के आभूषणों के परीक्षण के लिए प्रयोगशालाएं स्थापित की हैं। चेन्नई की क्षेत्रीय प्रयोगशाला भी चांदी के आभूषणों के परीक्षण की सुविधा भी है।
अपनी अनुरूपता मूल्यांकन योजनाओं के तहत परीक्षण की बढ़ती आवश्यकता को पूरा करने के लिए, बीआईएस उन बाहरी प्रयोगशालाओं की मान्यता के लिए प्रयोगशाला मान्यता योजना (एलआरएस) भी संचालित करता है, जहां बीआईएस प्रयोगशालाओं में परीक्षण सुविधाएं विकसित करना आर्थिक रूप से व्यवहार्य नहीं है या जहां नमूनों की संख्या अधिक है। यह योजना आईएसओ/आईईसी 17025 पर आधारित है, जो एनएबीएल द्वारा अपनाए गए मानदंडों के अनुरूप है।
बीआईएस ने 293 प्रयोगशालाओं को मान्यता दी है, जिसमें प्रतिष्ठित अनुसंधान एवं विकास संगठन, तकनीकी संस्थान, सरकारी प्रयोगशालाएं और निजी क्षेत्र की प्रयोगशालाएं शामिल हैं। ऐसी प्रयोगशालाओं की सेवाओं का उपयोग बीआईएस द्वारा किया जाता है।
गुणवत्ता के प्रति अपनी प्रतिबद्धता प्रदर्शित करने, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय अच्छी प्रयोगशाला रीतियों के साथ तालमेल बनाए रखने के लिए, साहिबाबाद, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, मोहाली, बेंगलुरु, पटना और
गुवाहाटी स्थित बीआईएस प्रयोगशालाओं को आईएसओ/आईईसी 17025 के अनुसार राष्ट्रीय परीक्षण और अंशांकन प्रयोगशालाओं के लिए प्रत्यायन बोर्ड (एनएबीएल) द्वारा मान्यता दी गई है।
बीआईएस प्रयोगशालाएं मुख्य रूप से स्थापित भारतीय मानकों के अनुरूप उत्पादों का परीक्षण करती हैं। चूँकि संबंधित मंत्रालयों/विभागों द्वारा गुणवत्ता नियंत्रण आदेश (क्यूसीओ) जारी करने के माध्यम से अधिक से अधिक उत्पादों को बीआईएस के अनिवार्य प्रमाणीकरण के तहत लाया जा रहा है जिसके कारण समय के साथ परीक्षण किए जाने वाले उत्पादों की संख्या में वृद्धि हुई है। बीआईएस प्रयोगशालाएं बीआईएस के अनिवार्य प्रमाणन के लिए अधिसूचित या क्यूसीओ के माध्यम से अधिसूचना के लिए चयनित परीक्षण उत्पादों की अपेक्षा को पूरा करने के लिए विभिन्न अत्याधुनिक परीक्षण उपकरणों की खरीद के माध्यम से अपने गुणवत्ता बुनियादी ढांचे को बढ़ाने के लिए लगातार प्रयास करके विकसित हुई हैं।
बीआईएस प्रयोगशालाओं में गुणवत्तापूर्ण बुनियादी ढांचे के साथ-साथ नमूना परीक्षण आउटपुट में आदर्श बदलाव आया है। महामारी से पहले प्रयोगशालाओं में प्रति माह 1500 से 1800 सौ नमूनों का परीक्षण उत्पादन तीन गुना से अधिक बढ़कर 6000 से अधिक नमूने प्रति माह हो गया है। बीआईएस प्रयोगशालाओं ने वर्ष 2022-23 में 68382 परीक्षण रिपोर्ट का कुल परीक्षण आउटपुट हासिल किया है।
देश में गुणवत्तापूर्ण बुनियादी ढांचे को बढ़ावा देने के लिए, बीआईएस ने एलआरएस की फीस संरचना को भी संशोधित किया है और एमएसएमई और महिला उद्यमियों के लिए मान्यता शुल्क में भारी कमी की है। प्रयोगशालाओं को उनकी मान्यता के दायरे में अधिक भारतीय मानकों/उत्पादों को शामिल करने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए समावेशन के उद्देश्य से आवेदन और प्रसंस्करण शुल्क को समाप्त कर दिया गया है।
कौशल विकास को बढ़ाने, बीआईएस प्रयोगशालाओं के उन्नयन और आधुनिकीकरण के लिए स्वचालित और परिष्कृत परीक्षण उपकरणों की पहचान करने के लिए, बीआईएस के वैज्ञानिक अधिकारियों द्वारा बड़े पैमाने पर निर्माताओं, देश-विदेश में प्रतिष्ठित प्रयोगशालाओं में एक्सपोजर दौरे किए गए ताकि सर्वोत्तम राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय रीतियों की जानकारी प्राप्त की जा सके।
बीआईएस प्रयोगशालाओं में बीआईएस शाखा कार्यालयों के साथ मिलकर स्कूलों, कॉलेजों और उद्योगों के साथ परिचर्चा सत्रों के आयोजन किया जा रहा है, जिससे वे स्वयं ज्ञान केंद्र के रूप में विकसित हो रही हैं। इन सत्रों में किसी विशेष विषय या क्षेत्र पर व्यापक चर्चा/प्रस्तुति की जाती है, जिसमें उस उत्पाद/उत्पाद समूह के लिए परीक्षण अपेक्षाओं को भी शामिल किया जाता है। इससे युवाओं के बीच गुणवत्ता चेतना विकसित करने और उन्हें देश में नवीनतम परीक्षण करने के बुनियादी ढांचे के बारे में जागरूक करके उद्योग में सक्षम बनाने में मदद मिलती है।
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